"कलयुग में नारियों का सम्मान"
नारी ही आज है, नारी ही कल है।
अगर नारी पूजनीय न होती,
तो क्यों उसी के नाम जल है।
अरे दरिंदो क्या तुम्हें नहीं पता,
नारी ही दुर्गा है।
इन निर्भय, निडर, दुष्टों, के
परिवारों ने उन्हें पूजा है।
जब ऐसी पूज्यवर और पूजनीय,
माताओं,बहनों के साथ ये होगा।
तो भारत का भविष्य इन लोगों,
की वजह से न विकसित होगा।
उठो! नारियों कन्याओं स्वयं,
तलवार उठा लो तुम।
जो नई उम्र के बन रहे है,
उम्र ही खत्म कर डालो तुम।
क्या नई उम्र इसी में है कि,
अबलाओं पर दुर,व्यवहार करे।
कुछ देश नहीं इनके लिए जिनका,
ये कल्याण करे।
कुछ सोचो उनके बारे में भी,
जिन्होंने तुमको जन्म दिया।
अरे! हत्यारों क्यों किसी के कोख,
को अपनी भावना के लिए बर्बाद किया।
जब हम शांत थे तो हमें निर्बल,
समझा गया।
जब हम शांत थे तो हमें अबला,
समझा गया।
उठो! वीरांगनाओं दिखा दो,
ताकत अपनी इनको।
काट दो उनके उस तन को,
न रखो उस कदर उनको।
क्या चंद्रशेखर,भगतसिंह, नहीं,
भारत मां के लाल हुए।
तुम क्या जानो मिट्टी क्या देती है,
जब तुम खेलते हो जुए।
-रंगोली तिवारी
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
कमेंट
कमेंट X