माटी मेरी, वीरों की धरती,
गौरव कण-कण में है भरती।
आज़ादी की यह अनमोल साँस,
बलिदानों की अमर है रास।
सदियों की बेड़ी को तोड़ा,
अपनी हिम्मत से जग को मोड़ा।
हर लहू का कतरा एक कहानी,
स्वतंत्रता की अमर निशानी।
हिमालय सा उन्नत मेरा माथा,
सागर की गहराई में गाथा।
हर खेत में सोना उगलता,
आज़ादी का रंग है घुलता।
यह गौरव है उस संघर्ष का,
यह भाव है हर उत्सर्ग का।
अपनी धरती, अपना यह गगन,
आज़ादी का महकता चमन।
यह पीढ़ी दर पीढ़ी बहता,
गौरव का यह अमृत कहता।
आज़ादी की यह ज्योति जले,
हर हृदय में यह भाव पले।
हम भारत के वीर संतान,
रखेंगे आज़ादी का सम्मान।
गौरव हमारा, आज़ादी शान,
यह भारत माँ का अमर विधान।
यह भाव जगाए रग-रग में,
देशभक्ति की उठे तरंग में।
गौरव और आज़ादी का यह नाद,
रहेगा सदा, रहे आबाद।
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2 सप्ताह पहले
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