हसरत जयपुरी को शायरी विरासत में मिली थी, उनके नाना फ़िदा हुसैन फ़िदा एक मशहूर शायर थे। हसरत जब जयपुर से मुंबई पहुंचे तो यहां उन्होंने कई साल तक बस में कंडक्टर के तौर पर काम किया। तब वह दिन के समय बस में कंडक्टरी करते और रात को ग़ज़ल लिखते। इसके बाद किसी मुशायरे के तहत वह राज कपूर तक पहुंचे। राज कपूर ने उन्हें फ़िल्मों में काम करने का मौका दिया। इसके बाद हसरत फ़िल्मी दुनिया के प्रतिष्ठित गीतकारों में से एक हो गए।
उन्होंने सिनेमा को कई सुपरहिट नग़्मे दिए हैं।
अजी रूठकर अब कहाँ जाईयेगा
अजी रूठकर अब कहाँ जाइएगा
जहाँ जाईयेगा, हमें पाइएगा
निगाहों से छुपकर दिखाओ तो जाने
ख़यालों में भी तुम ना आओ तो जाने
अजी लाख परदों में छुप जाइएगा
नज़र आईयेगा, नज़र आइएगा
जो दिल में हैं होठों पे लाना भी मुश्किल
मगर उसको दिल में छुपाना भी मुश्किल
नज़र की जुबां से समझ जाइएगा
समझकर ज़रा गौर फरमाइएगा
अजी रूठकर अब कहां जाइएगा...विश्वास है तो खोना-बिछड़ना कैसा...
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