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गुरु की महिमा को समझिए कबीर के इन 5 दोहों से

साहित्य
                
                                                         
                            गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।
                                                                 
                            
कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥

व्याख्या:-
व्यवहार में भी साधु को गुरु की आज्ञानुसार ही आना - जाना चाहिए। सद्गुरु कहते हैं कि संत वही है जो जन्म - मरण से पार होने के लिए साधना करता है। 

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥

व्याख्या:-
गुरु और पारस - पत्थर में अन्तर है, यह सब सन्त जानते हैं। पारस तो लोहे को सोना ही बनाता है, परन्तु गुरु शिष्य को अपने समान महान बना लेता है।
 
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23 घंटे पहले

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