'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- मृग, जिसका अर्थ है- हिरन। प्रस्तुत है मधु शुक्ला की कविता- मन तो चाहे अम्बर छूना
मन तो चाहे अम्बर छूना
पाँव धँसे हैं खाई ।
दूर खड़ी हँसती है मुझ पर
मेरी ही परछाई ।
विश्वासों की पर्त खुली तो,
खुलती चली गई ,
सम्बन्धों की बखिया
स्वयं उधड़ती चली गई,
चूर हुए हम स्थितियों से
करके हाथापाई ।
इच्छाओं का कंचन - मृग
किस वन में भटक गया,
बतियाता था जो मुझसे,
वह दर्पण चटक गया,
अपने ही स्वर अब कानों को
देते नहीं सुनाई ।
परिवर्तन की जाने कैसी
उल्टी हवा चली,
धुआँ -धुआँ हो गई दिशाएँ
सूझे नहीं गली,
जमी हुई हर पगडण्डी पर
दुविधाओं की काई ।
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