आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

आज का शब्द: मृग और मधु शुक्ला की कविता- मन तो चाहे अम्बर छूना

आज का शब्द
                
                                                         
                            'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- मृग, जिसका अर्थ है- हिरन। प्रस्तुत है मधु शुक्ला की कविता- मन तो चाहे अम्बर छूना 
                                                                 
                            

मन तो चाहे अम्बर छूना
पाँव धँसे हैं खाई ।
दूर खड़ी हँसती है मुझ पर
मेरी ही परछाई ।

विश्वासों की पर्त खुली तो,
खुलती चली गई ,
सम्बन्धों की बखिया
स्वयं उधड़ती चली गई,
चूर हुए हम स्थितियों से
करके हाथापाई ।

इच्छाओं का कंचन - मृग
किस वन में भटक गया,
बतियाता था जो मुझसे,
वह दर्पण चटक गया,
अपने ही स्वर अब कानों को
देते नहीं सुनाई ।

परिवर्तन की जाने कैसी
उल्टी हवा चली,
धुआँ -धुआँ हो गई दिशाएँ
सूझे नहीं गली,
जमी हुई हर पगडण्डी पर
दुविधाओं की काई ।

हमारे यूट्यूब चैनल को Subscribe करें। 

7 घंटे पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर