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मुज़फ़्फ़र वारसी: औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी 

उर्दू अदब
                
                                                         
                            हाथ आँखों पे रख लेने से ख़तरा नहीं जाता 
                                                                 
                            
दीवार से भौंचाल को रोका नहीं जाता 

दा'वों की तराज़ू में तो अज़्मत नहीं तुलती 
फ़ीते से तो किरदार को नापा नहीं जाता 

फ़रमान से पेड़ों पे कभी फल नहीं लगते 
तलवार से मौसम कोई बदला नहीं जाता 

चोर अपने घरों में तो नहीं नक़्ब लगाते 
अपनी ही कमाई को तो लूटा नहीं जाता 

औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी 
और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता  आगे पढ़ें

3 वर्ष पहले

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