एक सुकून सा मिलता है तुझे सोचने से भी
फिर कैसे कह दूँ मेरा इश्क़ बेवजह सा है
बेवजह अब ज़िंदगी में प्यार के बीज ना बोये कोई
मोहब्बत के पेड़ हमेशा ग़म की बारिश ही लाते हैं
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