दिनभर जो भागते दौड़ते थे,
वो अब चलते चलते भी रुकने लगे हैं।
पर ये हकीकत है,
सब दोस्त थकने लगे हैं।
किसी को लोन की फ़िक्र है,
कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है।
फुर्सत की सब को कमी है,
आंखों में अजीब सी नमी है।
कल जो प्यार के ख़त लिखते थे,
आज बीमे के फार्म भरने में लगे हैं।
पर ये हकीकत है
सब दोस्त थकने लगे हैं।
देख कर पुरानी तस्वीरें,
आज जी भर आता है।
क्या अजीब शै है ये वक़्त भी,
किस तरह ये गुज़र जाता है।
कल का जवान दोस्त मेरा,
आज अधेड़ नज़र आता है।
ख़्वाब सजाते थे जो कभी ,
आज गुज़रे दिनों में खोने लगे हैं।
पर ये हकीकत है
सब दोस्त थकने लगे है।
(ये शायरी इंटरनेट की दुनिया में लोकप्रिय है। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
3 वर्ष पहले
कमेंट
कमेंट X