'मल्टी-टैलेंटेड हनुमान जी', धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर) द्वारा लिखित एक विशेष पुस्तक है, जिसका आधिकारिक रूप से विमोचन कर दिया गया है। यह पुस्तक इन्विसिवल पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसका नेतृत्व सागर सेतिया कर रहे हैं। अब यह पुस्तक अमेज़न, फ़्लिपकार्ट और ब्लिंकिट पर उपलब्ध है।
यह केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि आज के समय के लिए एक सच्चा और भावनाओं से जुड़ा हुआ उपहार है। सरल और सहज भाषा में, पंडित जी ने भगवान हनुमान जी के बहुआयामी रूप और गुणों को प्रस्तुत किया है - जो केवल एक देवता नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए एक आदर्श हैं।
इस पुस्तक में बताया गया है कि हनुमान जी पहले विदेशी यात्री थे, पहले जिन्होंने समुद्र पार किया, और (प्रतीकात्मक रूप से) पहले एंडोस्कोपी भी की। उन्होंने अपार शक्ति के साथ विनम्रता और तीव्र बुद्धि का संतुलन भी बनाए रखा। हर अध्याय शास्त्रों और जीवन के अनुभवों से प्रेरित है, जो प्राचीन भक्ति को आज की जीवनशैली से जोड़ता है।
पुस्तक की भूमिका में पंडित जी कहते हैं: "हमें तुमसे न दान चाहिए, न हमें मान चाहिए, न सम्मान चाहिए, न हमें तुमसे अपमान चाहिए, पाठकों! हमें तो बस तुम्हारे हृदय में हनुमान चाहिए।"
इस पुस्तक में मुख्य रूप से ये बातें बताई गई हैं:
· कैसे धैर्य से कठिन परिस्थितियों का सामना करें,
· कैसे शक्तिशाली होते हुए भी ज़मीन से जुड़े रहें,
· कैसे जीवनभर सीखते रहें,
· और कैसे अपने गुरु, धर्म और देश के लिए दृढ़ता से खड़े रहें।
यह पुस्तक विशेष रूप से युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक संदेश देती है। इसके साथ ही इसमें हनुमान जी के शाबर मंत्र, प्रभावशाली उपाय, पूजन विधि, कलियुग में उनके दर्शन की कहानियाँ, और सपनों व दैनिक जीवन में उनकी उपस्थिति का महत्व भी बताया गया है।
सागर सेतिया, इन्विसिवल पब्लिशर्स के संस्थापक, अध्यात्मिक पुस्तकों को आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। वे ऐसे साहित्य को बढ़ावा देते हैं जो गहन होने के साथ-साथ हर पाठक से जुड़ सके। उनकी यही सोच है कि प्राचीन ज्ञान को आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया जाए, और मल्टी-टैलेंटेड हनुमान जी उसी दृष्टिकोण का उत्कृष्ट उदाहरण है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मल्टी-टैलेंटेड हनुमान जी यह संदेश देती है कि शक्ति और अध्यात्म साथ-साथ चल सकते हैं, और हनुमान जी का मार्गदर्शन हर युग में प्रासंगिक बना रहता है।
यह सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक आह्वान है - पढ़ने का, सोचने का और दोबारा जुड़ने का।
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