स्वतंत्रता दिवस के 79वें साल में प्रवेश पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल क़िले की प्राचीर से देश के नाम संबोधन दिया। संबोधन के अंत में उन्होंने कुछ प्रेरणादायी पंक्तियां भी पढ़ीं।
परिश्रम में जो तपा है
उस ने ही तो इतिहास रचा है
जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा है
उसने ही समय को मोड़ा है
और समय को मोड़ देने का भी
यही समय है, सही समय है।
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