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Hasya: अशोक अंजुम की हास्य ग़ज़ल- प्यार है , इजहार है बाजार में !

हास्य
                
                                                         
                            प्यार है , इज़हार है बाज़ार में !
                                                                 
                            
इश्क़ का व्यापार है बाज़ार में !

कै़द दफ़्तर में रहे सप्ताह भर
और अब रविवार है बाज़ार में !

देखकर विज्ञापनों का बाँकपन
रोज कुल परिवार है बाज़ार में !

ये भी लें, हाँ ये भी लें, हाँ ये भी लें
बस यही तकरार है बाज़ार में !

बिक रहा है आम जनता का सुकूँ
और हर सरकार है बाज़ार में !

क्यों घरों में आज सन्नाटा लगे
और हर त्यौहार है बाज़ार में ! आगे पढ़ें

13 घंटे पहले

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