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साजन ग्वालियरी की हास्य रचना: बस यही उम्मीद रखना 

साजन ग्वालियरी की हास्य रचना: बस यही उम्मीद रखना
                
                                                         
                            ज़िंदगी में हो रहे हैं हादसे ही हादसे 
                                                                 
                            
हम मुसीबत में फंसे हैं, घुड़चढ़ी के बाद से 

वे गई हैं माइके तब सांस ली है चैन की 
चार दिन हम भी फिरेंगे हर तरफ़ आज़ाद से 

हमरे वरमाला से पाया मित्र फांसी का मज़ा 
डर नहीं लगता है हमको इसलिए जल्लाद से 

पैदावारी रोकने की साजिशें असफल हुईं 
खूब उत्पादन बढ़ा है यूरिया के खाद से 

हम पड़े हैं नींव में और वे कंगूरे बन गए 
आ रही हैं ये सदाएं, दोस्तों बुनियाद से 

बाद मरने के चिता को, आग दे दें वक़्त पर 
बस यही उम्मीद रखना, आजकल औलाद से 
9 महीने पहले

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