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ज्ञान प्रकाश आकुल: साथ किसी के रहना लेकिन खुद को खुद से दूर न रखना

कविता
                
                                                         
                            साथ किसी के रहना लेकिन
                                                                 
                            
खुद को खुद से दूर न रखना।

रेगिस्तानों में उगते हैं
अनबोये काँटों के जंगल,
भीतर एक नदी होगी तो
कलकल कलकल होगी हलचल,
जो प्यासे सदियों से बंधक
अब उनको मजबूर न रखना।

खण्डहरों ने रोज बताया
सारे किले ढहा करते हैं,
कोशिश से सब कुछ संभव है
सच ही लोग कहा करते हैं,
भले दरक जाना बाहर से
मन को चकनाचूर न रखना। आगे पढ़ें

3 वर्ष पहले

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