जब हमारे चाँद का व्रत पूर्ण होगा
तब हमारी प्यास गंगाजल बनेगी
आज मन के द्वार वंदनवार बाँधे
देहरी पर हैं सजाईं अल्पनाऍं
और हल्दी में मिलाकर लाल रॅंग को
चौक पूरा है कि पूरी कल्पनाऍं
कल्पनाऍं जब सभी साकार होंगी
तब सहज संभावना उत्कल बनेगी
दे रहे आशीष हमको देव सारे
देवियां सौभाग्य का वर दे रहीं हैं
दूर तक फैली हुईं चारों दिशाऍं
अंजुरी से नेह भर भर दे रहीं हैं
दे रहीं हैं श्वास को गति ये हवाऍं
लग रहा है साधना शुभ फल बनेगी
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