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ढँक देता है प्रकाश अपनी मरणशील दीप्ति से तुम्हें: पाब्लो नेरूदा

ढँक देता है प्रकाश अपनी मरणशील दीप्ति से तुम्हें: पाब्लो नेरूदा
                
                                                         
                            ढँक देता है प्रकाश अपनी मरणशील दीप्ति से तुम्हें
                                                                 
                            
अनमने फीके दुख खड़े हैं उस राह
साँझ की झिलमिली के पुराने प्रेरकों के विरुद्ध
वे लगाते चक्कर तुम्हारे चारों तरफ़

वाणी रहित, मेरी दोस्त, मैं अकेला
अकर्मण्य समय के इस एकान्त में
भरा हूँ उमंग और जोश की उम्रों से,
इस बरबाद दिन का निरा वारिस आगे पढ़ें

5 वर्ष पहले

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😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
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