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हास्य कविता: काका हाथरसी की कविता 'रूठ गई हो प्रेमिका, बीज प्रेम के बोय'

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रूठ गई हो प्रेमिका, बीज प्रेम के बोय।
याद सताए रात-दिन, धक-धक दिन में होय॥

धक-धक दिल में होय, व्यर्थ जा रही जवानी।
देख आज़माकर नुस्ख़ा, यह पाकिस्तानी॥

कह ‘काका’ कवि, तवा बाँधकर अपने सर पर।
लेकर छाता कूदो, महबूबा के घर पर॥ 
 

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एक दिन पहले

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