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हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन: असफल हुआ तो कविताएं लिखने लगा 

हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन
                
                                                         
                            हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन मुखर होकर कहते हैं कि जो आदमी तमाम कोशिशों के बाद भी सफल नहीं होता वह किताब लिखने की कोशिश करे। उसे बड़ी सफलता मिलेगी। वह अपने अंदर साहित्य का शौक पैदा होने की वजहों को स्पष्‍ट करते हुए कहते हैं कि मैं असफल हुआ और साहित्य लिखने लगा। मेरा जन्म डेनमार्क के ओडेन्स में 1805 में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। लेकिन मेरे पिता ने, जो जूते गांठते थे, मेरी कल्पनाशीलता को नई उड़ान दी। रविवार को वह मुझे थिएटर ले जाते थे और कहानियों एवं नाटकों के अंश पढ़कर सुनाते थे।
                                                                
                
                
                 
                                    
                     
                                             
                                                

कमरे की दीवारें तस्वीरों से ढकी थीं

मेरे बचपन का घर एक छोटा-सा कमरा था, जिसकी लगभग पूरी सतह मेरे पिता के लिए कार्यस्थल थी। घर में एक बिस्तर और एक बेंच थी, जिस पर मैं सोया करता था। लेकिन कमरे की दीवारें तस्वीरों से ढकी थीं। मेरा बचपन बेहद अकेलेपन में बीता, मैं दिन भर कठपुतलियों की पोशाक तैयार करता था। किशोर उम्र में ही फिल्मों में काम करने के लिए मैं कोपेनहेगन चला गया। लेकिन मुझे उसमें सफलता नहीं मिली। 
 
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कमरे की दीवारें तस्वीरों से ढकी थीं

7 वर्ष पहले

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