परवीन शाकिर पाकिस्तान की मक़बूल शायराओं में शुमार हैं, उनकी शायरी महिलाओं के दिल को आवाज़ देती हैं। पेश हैं उनके शायराना गुलशन से कुछ चुनिंदा गुल
राय पहले से बना ली तू ने
दिल में अब हम तेरे घर क्या करते
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई
और बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई
अपनी रुस्वाई तेरे नाम का चर्चा देखूँ
इक ज़रा शेर कहूँ और मैं क्या क्या देखूँ
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
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अपनी रुस्वाई तेरे नाम का चर्चा देखूँ
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