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वतन से मुहब्बत पर शायरों ने क्या ख़ूब अल्फ़ाज़ कहे हैं

Patriotic shayari in hindi
                
                                                         
                            

वतन में पैदा हुए हर शख़्स के मन में उसके लिए एक जज़्बा और गर्व का भाव होता है। प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि वह कहीं न कहीं अपने देश के लिए कुछ कर सके, उसके लिए काम आ सके। इसी पर शायरों ने भी कुछ अल्फ़ाज़ यूं कहे हैं।

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
- लाल चन्द फ़लक
 

बोझ उठाए हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं माँ तेरी ये उम्र तो आराम की थी
- परवीन शाकिर

इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अंधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
- जावेद अख़्तर


उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आंखें
- अज्ञात

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एक वर्ष पहले

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