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लोकनायक जयप्रकाश नारायण के लिए रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां

Ramdhari Singh dinkar famous poem on jaiprakash narayan
                
                                                         
                            लोकनायक जयप्रकाश कौन थे, इसका एक ओजपूर्ण परिचय रामधारी सिंह दिनकर की उन पंक्तियों से मिलता है जो उन्होंने 1946 में जे.पी. के जेल से रिहा होने के बाद लिखी थी और पटना के गांधी मैदान में जेपी के स्वागत में उमड़ी लाखों लोगों के सामने पढ़ी थी- 
                                                                 
                            

झंझा सोई, तूफान रुका, प्लावन जा रहा कगारों में;
जीवित है सबका तेज किन्तु, अब भी तेरे हुंकारों में।
दो दिन पर्वत का मूल हिला, फिर उतर सिन्धु का ज्वार गया,
पर, सौंप देश के हाथों में वह एक नई तलवार गया।



'जय हो' भारत के नये खड्ग; जय तरुण देश के सेनानी!
जय नई आग! जय नई ज्योति! जय नये लक्ष्य के अभियानी!
स्वागत है, आओ, काल-सर्प के फण पर चढ़ चलने वाले!
स्वागत है, आओ, हवनकुण्ड में कूद स्वयं बलने वाले! आगे पढ़ें

एक वर्ष पहले

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