एक बोसे के तलबगार हैं हम
और मांगें तो गुनहगार हैं हम
- अज्ञात
ध्यान के रस में डूबे लब
बोसा बोसा चेहरे हैं
- मुसहफ़ इक़बाल तौसिफ़ी
एक बोसे पे बेचते थे हम
तू ने सौदा न कुछ किया दिल का
- आसिफ़ुद्दौला
बस एक बोसा-ए-सुब्ह और एक बोसा-ए-शाम!
फ़क़ीर-ए-बोसा हूं और इल्तिजा-ए-बोसा है
- सय्यद काशिफ़ रज़ा
आगे पढ़ें
कमेंट
कमेंट X