बादल बादल बारिश बारिश खेलेंगे ।
नील गगन से अपना हिस्सा ले लेंगे।।
सारे के सारे अपने पंछी पर्वत पेड़
रस्ते में कुछ औरों को भी ले लेंगे ।
चंदा तारे जुगनू रात का मुस्काना
आओ बंधन तोड़ सुबह संग हो लेंगे।
खुशियाँ इक पल, गम इक पल का
आँखों की लाली भी खूब सँजो लेंगे।
गरजो ना आकाश ये बच्चे डर जाएँगे
खिलने दो उन्मुक्त ये कुछ पल जी लेंगे।
लाली सूरज की खेतों में फैलाने को
हरियाली खातिर कुछ छुट्टी ले लेंगे ।
बादल बादल बारिश बारिश खेलेंगे ।
नील गगन से अपना हिस्सा ले लेंगे।।
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
3 वर्ष पहले
कमेंट
कमेंट X