आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

मुनीर नियाजी: ख्वाब होते हैं देखने के लिए...उनमें जा कर मगर रहा न करो... 

मुनीर नियाजी
                
                                                         
                            मुनीर का काव्य अकेलेपन की एक साहसिक झलक है। मुनीर की ही तरह मुनीर का 'अकेलापन' भी अलग ढंग का था। यह अकेलापन अद्वितीय होने की बजाय दूसरों के अकेलेपन को सम्मान और उन्हें अकेले रहने की स्वतंत्रता देने की इच्छा का फल था। अकेलेपन का यह अंदाज नया था तो मुनीर को अजबनी समझा गया। लेकिन बहुत जल्द यह खुल गया कि यह अजनबी स्ट्रेंजर नहीं बल्कि इक इक बार सभी संगबीती की जानी पहचानी स्थितियों का शायर है। 
                                                                
                
                
                 
                                    
                     
                                             
                                                
                                             
                                                
                                             
                                                
                                             
                                                
                                                                
                                        
                        आगे पढ़ें
                        

बरसों से इस मकान में आया नहीं कोई, अंदर है इसके कौन ये समझा नहीं कोई... 

16 घंटे पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर