परवीन शाकिर ने 1982 में सेंट्रल सुपीरयर सर्विस की परीक्षा दी थी और जब उन्होंने देखा कि उसमें एक सवाल उन्हीं से संबंधित है तो वो भावुक हो गईं। बहुत कमया शायद ही किसी शायर के साथ ऐसे संयोग घटे होंगे। परवीन शाकिर मशहूर शायरा होने के साथ लंबे समय तक अध्यापक भी रहीं, फिर सिविल सेवा और फिर कस्टम विभाग में चली गईं। बहुत कम उम्र में, कुल 42 की आयु में उनका निधन हो गया था लेकिन उनका मकाम उम्र की किसी भी सीमा से कहीं ऊपर है।
24 नवम्बर 1952 को पाकिस्तान के करांची में उनका जन्म हुआ। बहुत कम उम्र में लिखना शुरु कर दिया था, 1976 में ख़ुश्बू के नाम के पहला मनमून छपा जिसे लोगों ने ख़ूब पसंद किया। अदब में उनके योगदान के लिए पाकिस्तान सरकार की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया। इसके बाद सदबर्ग, ख़ुकलामी, इन्कार के नाम से भी किताबें आईं। परवीन शाकिर उन चुनिंदा शायरा में से एक है, जिनका नाम ज़ुबान पर तुरंत आता है। 1994 में एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।
परवीन शाकिर की नज़्में किसी लड़की की तन्हाई की आवाज़ लगती है जो धीरे-धीरे बड़ी भी हो रही है, परिपक्व भी हो रही है। जैसे ये एक जवान लड़की की ‘ज़िद’ है
मैं क्यूँ उस को फ़ोन करूँ!
उस के भी तो इल्म में होगा
कल शब
मौसम की पहली बारिश थी!
लेकिन यही लड़की जब वक़्त के साथ बड़ी हो रही है तो लिख रही है
कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी
फिर भी वो अपने मन की बात यूं कहती है
लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ
परवीन शाकिर ने सिर्फ़ अपनी नहीं बल्कि तमाम लड़कियों की मन की बातों को अपनी शायरी में कहा है। परवीन शाकिर उन चुनिंदा शायर में से एक हैं जो किसी विशेष दिन के साथ याद नहीं आते, वे हर पल ही प्रासंगिक हैं। जिनके शेर कभी न कभी दिमाग़ से होकर गुज़र ही जाते हैं।
परवीन शाकिर के चुनिंदा शेर यहां पढ़ें - https://www.amarujala.com/web-stories/kavya/famous-urdu-poetry-parveen-shakir-best-sher-collection-2023-11-02
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