आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

आज का शब्द: विभु और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता 'मद भरे ये नलिन'

aaj ka shabd vibhu suryakant tripathi nirala famous hindi kavita mad bhare ye nalin
                
                                                         
                            

हिंदी हैं हम शब्द-शृंखला में आज का शब्द है - विभु जिसका अर्थ है - 1. ईश्वर 2. पुराण 3. कुबेर 4. आकाश। कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। 

मद-भरे ये नलिन-नयनमलीन हैं;
अल्प-जल में या विकल लघु मीन हैं?
या प्रतीक्षा में किसी की शर्वरी;
बीत जाने पर हुए ये दीन है?

या पथिक से लोल-लोचन! कह रहे
हम तपस्वी हैं, सभी दुख सह रहे।
गिन रहे दिन ग्रीष्म-वर्षा-शीत के;
काल-ताल- तरंग में हम बह रहे।

मौन हैं, पर पतन में-उत्थान में ,
वेणु-वर-वादन-निरत-विभु गान में
है छिपा जो मर्म उसका, समझते;
किन्तु फिर भी हैं उसी के ध्यान में।

आह! कितने विकल-जन-मन मिल चुके;
हिल चुके, कितने हृदय हैं खिल चुके।
तप चुके वे प्रिय-व्यथा की आंच में;
दुःख उन अनुरागियों के झिल चुके।

क्यों हमारे ही लिये वे मौन हैं?
पथिक, वे कोमल कुसुम हैं-कौन हैं?
 

हमारे यूट्यूब चैनल को Subscribe करें।  
                                                                 
                            

                                                                                            
6 घंटे पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर