आजादी के रखवालों को, सीमा के पहरेदारों को शायरों और कवियों ने हमेशा रचनात्मक सम्मान दिया है। पुलवामा में कायरना आतंकी हमले के चलते हमारे कई बहादुर जवान शहीद हो गये। अत्यंत दुखद स्थिति है। आइये पढ़ते हैं वतन पर कुर्बान होने वाले शहीदों पर शायरों के ज़ज़्बात-
उठ गई हैं सामने से कैसी कैसी सूरतें
रोइए किस के लिए किस किस का मातम कीजिए
~हैदर अली आतिश
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
~ख़ालिद शरीफ़
क्या मोल लग रहा है शहीदों के ख़ून का
मरते थे जिन पे हम वो सज़ा-याब क्या हुए
~साहिर लुधियानवी
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा
~जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’
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