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अहमद सलमान: जो दिख रहा है उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शा'इरी है

ahmad salman famous ghazal jo dikh rha hai usi ke andar jo un dikha hai wo shayari hai
                
                                                         
                            


जो दिख रहा है उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शा'इरी है
जो कह सका था वो कह चुका हूँ जो रह गया है वो शा'इरी है

ये शहर सारा तो रौशनी में खिला पड़ा है सो क्या लिखूँ मैं
वो दूर जंगल की झोंपड़ी में जो इक दिया है वो शा'इरी है

दिलों के माबैन गुफ़्तुगू में तमाम बातें इज़ाफ़तें हैं
तुम्हारी बातों का हर तवक़्क़ुफ़ जो बोलता है वो शा'इरी है

तमाम दरिया जो एक समुंदर में गिर रहे हैं तो क्या 'अजब है
वो एक दरिया जो रास्ते में ही रह गया है वो शा'इरी है

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एक दिन पहले

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