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Sahir Ludhianvi: देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से

sahir ludhianvi famous ghazal dekha hai zindagi ko kuch itne qareeb se
                
                                                         
                            
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से

कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँढ़ते थे हम
महफ़िल में आ गए हैं वो अपने नसीब से

नीलाम हो रहा था किसी नाज़नीं का प्यार
क़ीमत नहीं चुकाई गई इक ग़रीब से

तेरी वफ़ा की लाश पे ला मैं ही डाल दूँ
रेशम का ये कफ़न जो मिला है रक़ीब से
2 वर्ष पहले

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