देखा है मैंने मेरे यार को झुलसते हुए
एक धमाका सरे बाजार धधकते हुए
उस खिलते चेहरे को बेसांस होते हुए
देखा है मैंने आदम को यूँ जलते हुए
अम्मी की आँखों तले आंसूं की सूखी लकीरें
देखा है मैंने मुद्दत से दर्द जलते हुए
दीवारों पर सियासत की तस्वीर लगते हुए
देखा है मैंने खून के छीटों को ढंकते हुए
देखा है मैंने मेरे यार को झुलसते हुए
शहीदों को नमन
मजदूर झा की फेसबुक वाल से साभार
कमेंट
कमेंट X