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Anurag Anant : जादूगरनी थी वो, अपनी पीठ से चाबुक के निशान मिटा दिया करती थी

                
                                                         
                            दुःख उसके आँचल में खोटे सिक्कों की तरह बंधे थे 
                                                                 
                            
और पीड़ा कमर में चाबी के गुच्छे की तरह 
~अनुराग अनंत 
15 घंटे पहले

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