जब भी रोया
विकल मन मेरा
तुमको पाया।
निर्मल बहे
पहाड़ी झरने -सा
प्रेम तुम्हारा।
नेह तुम्हारा
सर्दी की धूप जैसा
उँगली फेरे।
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