सारी दुनिया एक रंगमंच है, नर-नारी सब अभिनेता
सात अवस्थाएं जीवन की, सात अंकों के नाटक में
अपना-अपना खेल दिखाकर हर इनसान चला जाता।
दूध गिराता शिशु पहले रिरियाता मां की बांहों में,
मन मारे, बस्त लटकाये चींटी की फिर चाल से चलता
पढ़ने जाता सुबह-सवेरे उजले चेहरे वाला बच्चा,
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