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विलियम शेक्सपियर की कविता: सारी दुनिया एक रंगमंच है

नाटक का मंचन
                
                                                         
                            सारी दुनिया एक रंगमंच है, नर-नारी सब अभिनेता
                                                                 
                            
सात अवस्थाएं जीवन की, सात अंकों के नाटक में
अपना-अपना खेल दिखाकर हर इनसान चला जाता।

दूध गिराता शिशु पहले रिरियाता मां की बांहों में,
मन मारे, बस्त लटकाये चींटी की फिर चाल से चलता
पढ़ने जाता सुबह-सवेरे उजले चेहरे वाला बच्चा, आगे पढ़ें

2 वर्ष पहले

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😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
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