बस हो चुका हुज़ूर ये पर्दे हटाइए
सब मुंतज़िर हैं सामने तशरीफ़ लाइए
आवाज़ में तो आप की बे-शक ख़ुलूस है
लेकिन ज़रा नक़ाब तो रुख़ से हटाइए
हम मानते हैं आप बड़े ग़म-गुसार हैं
लेकिन ये आस्तीन में क्या है दिखाइए
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