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सुदर्शन फ़ाकिर: मेरे दुख की कोई दवा न करो, मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो

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मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो

नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है तो फिर
डूब जाओ ख़ुदा ख़ुदा न करो

ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो

इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो

आशिक़ी हो कि बंदगी 'फ़ाकिर'
बे-दिली से तो इब्तिदा न करो

10 घंटे पहले

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