कुछ होते हैं सपने रंगीन
तो कुछ हसीन
कुछ सपने देखते नहीं
दिखाते हैं
सपनों ही सपनों में
आपको झुलाते हैं।
मंच पर आते ही वे
फूल मालाओं से लद गए
आगे-पीछे दाएं- बाएं
चमचों से बंध गए
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