स्कॉटलैंड के प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार, नाटककार, कवि और इतिहासकार वॉल्टर स्कॉट में बेशुमार प्रतिभा थी। उन्होंने अपने अंदर की कविता के पैदा होने की वजह जो बताई वह काफी रोचक है। स्कॉट के अनुसार मेरे पिता एक वकील और मां एक डॉक्टर की पुत्री थीं। मैं अपने माता-पिता की नवीं संतान था। अट्ठारह माह की उम्र तक स्वस्थ जीवन बिताने के बाद एक सुबह मेरी मां को अचानक यह आभास हुआ कि मैंने अपने दांए पैर की शक्ति खो दी है। मैं पोलियो का शिकार हो गया था। काफी इलाज कराने के बाद जब मैं ठीक नहीं हुआ, तो मुझे अपने नाना के पास स्कॉटिश बार्डर के उनके गांव भेज दिया गया।
स्कॉटिश बॉर्डर की कहानियां सुनने के खूब मौके मिले
वहां मुझे अपने बुजुर्ग रिश्तेदारों की जिंदगी के बारे में और स्कॉटिश बॉर्डर की कहानियां सुनने के खूब मौके मिले। इसी कड़ी में जल्द ही मैं कविता, इतिहास, नाटक, परियों की कहानियों और प्रेम-प्रसंगों का जबर्दस्त प्रशंसक बन गया। कुछ वर्षों बाद मैं वापस अपने घर लौट आया। कविताओं से जुड़ी स्मृतियों को सुनकर मेरे करीबी हैरान होते थे। मैंने बारह वर्ष छोटी-सी उम्र में एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू कर दी। मेरी वहां एक प्रोफेसर के पुत्र से दोस्ती हो गई।
एक दृष्टिहीन कवि ने मुझे कविताओं का ककहरा सिखाया
कविताओं के प्रति मेरी रुचि देखकर उसने मुझे एक दृष्टिहीन कवि से मिलवाया, जिन्होंने मुझे कविताओं का ककहरा सिखाया। मैंने उसी उम्र से लिखना शुरू कर दिया। पंद्रह साल का होते-होते मैं अपने पिता का प्रशिक्षक बन गया, जब उन्हें अपनी कानूनी लेखनी में मेरी जरूरत महसूस हुई। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के दौरान साहित्य से मेरा जुड़ाव बना रहा। उस दौर में कई लोग लोक कथाओं को मान्यता नहीं देते थे, पर उनमें मेरा विश्वास था। मैंने बचपन की सुनी कहानियों को एक नया दृष्टिकोण देने की कोशिश करने लगा। मेरा पहली रचना उन्हीं कहानियों पर आधारित थी।
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4 महीने पहले
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