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गुलज़ार की मशहूर नज़्म: वक़्त को आते न जाते न गुज़रते देखा 

गुलज़ार की मशहूर नज़्म: वक़्त को आते न जाते न गुज़रते देखा
                
                                                         
                            वक़्त को आते न जाते न गुज़रते देखा 
                                                                 
                            
न उतरते हुए देखा कभी इल्हाम की सूरत 
जमा होते हुए इक जगह मगर देखा है 

शायद आया था वो ख़्वाबों से दबे पाँव ही 
और जब आया ख़यालों को भी एहसास न था 
आँख का रंग तुलु होते हुए देखा जिस दिन 
मैं ने चूमा था मगर वक़्त को पहचाना न था  आगे पढ़ें

2 वर्ष पहले

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