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Social Media Poetry: कृष्ण फिर अवतार का,निश्चय करो अब

वायरल काव्य
                
                                                         
                            कृष्ण फिर अवतार का,निश्चय करो अब,
                                                                 
                            
पाप  अत्याचार  का, है  बोलबाला।

योग्यताएं  फाँकती, हैं  धूल दर दर,
अवगुणी  बैठे हुए, हैं श्रेष्ठ  पद  पर,
जाति का चश्मा पहन, धृतराष्ट्र बैठे,
अनगिनत दुर्योधनों, की भीड़ घर-घर।

भीड़ भारी कौरवों, की, योग्यता पर,
पांडवो को राज्य से, मिलता निकाला।

घूमते   गौवंश   हैं, सड़कों   किनारे,
गाय तुलसी अब नहीं, मिलती है द्वारे,
दूध,घी,माखन बहुत, रूठे हैं हमसे, 
भर गये कुत्तों  से अब,आंगन हमारे,

कागजों में जा रही, है गाय पाली,
खोल गौशाला यहां,होता  घोटाला।

पालकर जिनको बड़ा,करती हैं माएं,
भूख सह दो जून वे,जिनको खिलाएं,
पद प्रतिष्ठा पा के वे,ही पुत्र मां  को,
जाके वृद्धाश्रम स्वयं,ही छोड़ आएं,

है महल किस काम का,आखिर तुम्हारा?
दे सके न अपनी मां,को,यदि निवाला।

  ~ अनुपम पाठक "अनुपम"
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17 घंटे पहले

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