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मेहवर नूरी: सूखे हुए कपड़े को निचोड़ा नहीं जाता

mehwar noori famous ghazal qatra ke guzarta hai toh dekha nahin jata
                
                                                         
                            


कतरा के गुज़रता है तो देखा नहीं जाता
बस्ती में ग़रीबों की उजाला नहीं जाता

दौलत से कहाँ जुड़ते हैं टूटे हुए रिश्ते
शीशे को कभी गोंद से जोड़ा नहीं जाता

इस झूट के बाज़ार में सच ढूँडने वाले
सूखे हुए कपड़े को निचोड़ा नहीं जाता

परियों की हसीं बाँहों में वो झूल रहा है
सोते हुए बच्चे को झिंझोड़ा नहीं जाता

ये चाँद सितारे भी हैं सूरज भी है रौशन
फैला है जो दुनिया में अंधेरा नहीं जाता

सोहबत में बुरों की वो रहा करता है 'महवर'
इस बात पे बेटे को निकाला नहीं जाता
 

21 घंटे पहले

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