आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

Hindi Kavita: केदारनाथ सिंह की कविता- तुमने जहाँ लिखा है 'प्यार' वहाँ लिख दो 'सड़क'

कविता
                
                                                         
                            हर बार लौटकर 
                                                                 
                            
जब अंदर प्रवेश करता हूँ 
मेरा घर चौंककर कहता है ‘बधाई’ 

ईश्वर 
यह कैसा चमत्कार है 
मैं कहीं भी जाऊँ 
फिर लौट आता हूँ 

सड़कों पर परिचय-पत्र माँगा नहीं जाता 
न शीशे में सबूत की ज़रूरत होती है 
और कितनी सुविधा है कि हम घर में हों 
या ट्रेन में 
हर जिज्ञासा एक रेलवे टाइम टेबुल से 
शांत हो जाती है  आगे पढ़ें

22 घंटे पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर