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विनोद कुमार शुक्ल: अपनी भाषा में शपथ लेता हूँ कि मैं किसी भी भाषा का अपमान नहीं करूँगा

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अपनी भाषा में शपथ लेता हूँ
कि मैं किसी भी भाषा का
अपमान नहीं करूँगा

और मेरी मातृ भाषा
हर जन्म में बदलती रहे
इसके लिए मैं बार-बार
जन्म लेता रहूँ—

यह मैं जीव-जगत से कहता हूँ
चिड़ियों, पशुओं, कीट-पतंगों से भी।  

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एक दिन पहले

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