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राजेन्द्र कृष्ण: किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए

rajendra krishna famous ghazal kisi ki yaad mein hain duniya ko bhulaye huye
                
                                                         
                            


किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
ज़माना गुज़रा है अपना ख़याल आए हुए

बड़ी अजीब ख़ुशी है ग़म-ए-मोहब्बत भी
हँसी लबों पे मगर दिल पे चोट खाए हुए

हज़ार पर्दे हों पहरे हों या हों दीवारें
रहेंगे मेरी नज़र में तो वो समाए हुए

किसी के हुस्न की बस इक किरन ही काफ़ी है
ये लोग क्यूँ मिरे आगे हैं शम्अ' लाए हुए

एक दिन पहले

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