इबादत, इश्क, मोहब्बत इन सभी का मतलब एक है। जिंदगी में जो इसे समझ गए उनका जीवन सफल बाकी सब असफल हैं। इबादत और इश्क को बारीकी से बयां करने वाले ये 18 मशहूर शेर यकीनन आपको खुदा और इश्क की जन्नत में सैर कराएंगे...
उस बुत की बंदगी से न आजाद हो हसन
यह बात भी कहीं न खुदा को बुरी लगे
-मीर हसन देहलवी
बुतखाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए...
अवतार बन कर गिरते हैं परियों के झुंड पर...
यह जो महंत बैठे है राधा के कुंड पर
-सैय्यद इंशा अल्ला खां इंशा
बुतखाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए, ये खुदा का मुकाम है
-ख्वाजा हैदर अली आतिश
कोई इस फस्ल में दीवाना हुआ है शायद...
पहना जो मैंने जामा-ए-दीवानगी तो इश्क
बोला कि ये बदन पे तिरे सज गया विश्वास
-मुसहफी
कोई इस फस्ल में दीवाना हुआ है शायद
कि हवा हाथ में जंजीर लिए फिरती है
-तालिब अली खां 'ऐशी'
इस सादगी पे कौन न मर जाए ये खुदा...
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीरे-नीमकश को
ये खालिश कहां से होती जो जिगर के पार होता
-मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब
इस सादगी पे कौन न मर जाए ये खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
-मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी...
जादू भरा हुआ है तुम्हारी निगाह में...
है दोस्ती तो जानिबे-दुश्मन न देखना
-हकीम मोमिन खां मोमिन
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
-जौक
रात किस को गले हमने लगाया था जफर...
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे
-जौक
रात किस को गले हमने लगाया था जफर
पैरहन जो इत्र की खुश्बू में है डूबा हुआ
-बहादुर शाह जफर
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो...
मुझे तो उन की इबादत पे रहम आता है
जबीं के साथ जो सज्दे में दिल झुका न सके
-खुमार बाराबंकवी
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
-राहत इंदौरी
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे...
फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
-राहत इंदौरी
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे
-राहत इंदौरी
मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना...
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था
-राहत इंदौरी
मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना
मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था
-राहत इंदौरी
खुशबू को फैलने का बहुत शौक है मगर...
उसकी याद आई, साँसों जरा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है
-राहत इंदौरी
खुशबू को फैलने का बहुत शौक है मगर
मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता बनाए बगैर
-अनाम
आगे पढ़ें
बुतखाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए...
7 वर्ष पहले
कमेंट
कमेंट X