सन्नाटे में भी गूँज उठती है,
दिल की बिखरी हुई कहानी,
जब शब्द थककर चुप हो जाएँ,
तो बहता है दर्द—पानी।
इन बूंदों में संचित पीड़ा है,
टूटे अरमानों की रवानी,
हर अश्रु एक गीत सुनाता है,
दुःख बन जाता है मधुर वाणी।
कभी नम्रता, कभी विद्रोह की धुन,
कभी अतीत की उदासी,
हर लकीर में लिखी हुई है,
अनकही यादों की बुनाई।
आँसुओं में छिपा ये सच्चापन,
दिल का सबसे गहरा फसाना,
उदासी की छाया में भी,
गुनगुनाते हैं — आँसुओं के तराने।
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8 घंटे पहले
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