कितनी मुहब्बत हे तुझको अपनी चांदनी से
रौशन उसका जहां तेरी रौशनी से
वो चंदा तोरी चांदनी मोरा जिया जलाए
तेरी प्रीत है जैसे चांदनी से अटूट
कोई शर्त नहीं तेरे ओर चांदनी के बीच
तोरी प्रीत मोरे हृदय में आग लगाए
मै तड़पू पपिहा सी काहे मोरा सजन
तेरे जैसा न बन पाए
तेरी चांदनी की चमक , मेरे चेहरे की उदासी बढ़ाए
करूं मै लाख जतन मोरा पिया पर समझ ना पाए
वो चंदा तोरी चांदनी मोरा जिया जलाए
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