चमक रही है जो आँखों में रौशनी की तरह
वो दिल पे छाई हुई है किसी परी की तरह
लगा के दिल को सजाती है ख़्वाब के जाले
छुपी हुई है ख़यालों में चाँदनी की तरह
क़दम जो रखती है धरती पे गूँज उठती है
कि जैसे साज़ बजे कोई रागनी की तरह
वो एक लम्हा कि जिस में मिला था तू मुझ से
अभी भी ज़िंदा है दिल में किसी सदी की तरह
निगाह डाले जो पल भर वो मेरी जानिब भी
समेट लूँ मैं वो लम्हा किसी ख़ुशी की तरह
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