आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

चिंता नहीं चिंतन कीजिए

                
                                                         
                            चिंता नहीं चिंतन कीजिए
                                                                 
                            
मन अपना चेतन कीजिए
आलोचना से भयभीत न हो
निर्णयों का आत्ममंथन कीजिए

भूल यदि हुई है तो उसका सुधार संभव है
जो बिगड़ गया उसका भी उद्धार संभव है

स्वीकारिए अपनी त्रुटियां को
फिर संभलने का जतन कीजिए
चिंता नहीं चिंतन कीजिए
मन अपना चेतन कीजिए

निसंदेह यहां भाग्य का खेल चलता है
परन्तु निरंतर प्रयासों में ही सफलता है

लक्ष्य की सदैव आशा रखिए “अर्श”
मुश्किलों का भी अभिनंदन कीजिए
चिंता नहीं चिंतन कीजिए
मन अपना चेतन कीजिए
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
2 वर्ष पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर