मैंने हाथ उठाए है
तेरी नींदों में तब ख्वाब बन कर आए है
तमाम शब जाग के गुजार दी हमने
तब कही तेरा उठता चेहरा देख पाए है
नींद अक्सर तेरी आंखों से मिन्हा रहती है
तुझे सुलाने की कोशिश की तो जान पाए है
कोई सो गया और हम जाग रहे है
वो याद इस कदर बेहिसाब आए है
आज तुम सो गए तो कितने सोए हुए मंजर जागे है
आज नींद में हम फिर ख्वाबों के पीछे भागे है
हम भीड़ में है या आगे है
हम सोए है या सोए सोए से जागे हैं
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3 वर्ष पहले
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