एक और पेड़ काट दिया गया
पहले भी तो काटा था
और आगे भी काटेंगे
फिर क्यों जिक्र करते हैं
पेड़ कटने की
पेड़ ही तो है काट दिया
कभी पेड़ को गिड़गिड़ाते देखा है
जीवन की भीख मांगते देखा है
कभी उसका रुदन सुना है
कैसे सुनोगे ???
वो तो मूक खड़ा बेबस पेड़ है
पर जब भी कोई पेड़ काटा जाता है
कभी सोचा है कि
कितनों की यादें दम तोड़ती है
कितनों का बचपन जो उसके संग बड़े हुए थे
अचानक से खो जाता है
कितनों की महफिलें शामें जो उसके तले गुजारी पर अल्पविराम लग जाता है
शुद्ध हवा और छाया की तो बात मत करो
और उस खाली जगह को देख जो खालीपन महसूस होता है
कहने को तो एक पेड़ ही तो कटा है
पर अफसोस होता है
और हां प्रदूषण के लिए कभी मत रोना
बस विकास के नाम पर पुराने हरेभरे तंदूरुस्त पेड़ जरुर काटते रहना
-सरिता सिंह
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