कंगाली में आता गीला
बेइमानी का खेल रंगीला ,
इनका बस चले ये तो
दूध को बना दे टकीला ।
लोकतंत्र मिलाएं मिट्टी में
डूब गए सारे अरमान ,
ईमानदारी में हाथ टूटते
घूसखोरी सबसे आसान ।
भ्रष्टाचार में जेट प्लेन दिखता है
ईमानदारी में यमराज का भैंसा ,
बस कहने पे पलट दे दुनिया
जो मिल जाए भर भर पैसा ।
अमीर बने हैं परम पूजनीय
गरीब न रहा इंसान ,
ईमानदारी में हाथ टूटते
घूसखोरी सबसे आसान ।
अब दुनिया में घुट – घुट जीते
नहीं रहा है शेष हौसला ,
खाता जैसे दीमक लकड़ी
बना दिया है देश खोखला ।
चेहरे पर मासूमियत
पर हर कोई है भ्रष्ट – प्रधान ,
ईमानदारी में हाथ टूटते ,
घूसखोरी सबसे आसान ।
काबिलियत को कौन पूछे
पैसा बोले हर ढब में ,
देशभक्ति की कसमें खाते
भ्रष्टाचार समाया रग रग में ।
संस्कार बेचे , दया भी बेची
बेच गए ये तो भगवान ,
ईमानदारी में हाथ टूटते
घूसखोरी सबसे आसान।
-छाया
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